बूटिंग क्या है
जब आप कंप्यूटर स्टार्ट करते हैं तब कंप्यूटर स्टार्ट होने में थोड़ा वक्त लगता है इस स्थिति में कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव पर उपस्थित ऑपरेटिंग सिस्टम को ROM में लोड किया जाता है उसके बाद ही कंप्यूटर से स्टार्ट होता है यह सब प्रोसीजर बूटिंग कहलाता है
Booting कैसे होता है
जब हम कंप्यूटर या लैपटॉप को स्टार्ट करने के लिए पावर बटन दबाते हैं तब कंप्यूटर खुद से अपने हार्डवेयर को चेक करता है जिसे पावर ऑन सेल्फ टेस्ट कहा जाता है इसे शार्ट में POST कहा जाता है,इसके बाद जब सभी हार्डवेयर सही पाए जाते हैं तब सेकेंडरी स्टोरेज जैसे हार्ड डिस्क ड्राइव्स से ऑपरेटिंग सिस्टम को बूटस्ट्रैप लोडर द्वार ROM में लोड किया जाता
ROM में पाया जाने वाला सॉफ्टवेयर को फर्मवेयर कहा जाता है इसको मदर बोर्ड बनाने वाली कंपनी प्रारंभ में रूम में डाल देती है और एक बार इसको डालने के बाद उसको दोबारा बदला नहीं जा सकता है
इस सॉफ्टवेयर के द्वारा ही बूटिंग प्रोसेस प्रारम्भ किया जाता है BIOS द्वारा बूटिंग डिवाइस को सिलेक्ट किया जाता है जिसके बाद BIOS सिस्टम को कॉन्फ़िगर कर हार्ड डिस्क, पेनड्राइव,सीडी द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम को मुख्य मेमोरी में डाला जाता है और कंप्यूटर ऑन हो जाता है
जब कंप्यूटर ऑन होता है तब जब मॉनिटर दिखने लगे और सिस्टम काम करने लायक हो तब कहा जा सकता है कि बूटिंग प्रोसीजर समाप्त हुई और सिस्टम स्टार्ट हो गया है
आजकल आधुनिक कंप्यूटर सिस्टम में पावर ऑन सेल्फ टेस्ट आधे मिनट में हो जाता है और ऑपरेटिंग सिस्टम लोड होने में आधे मिनट लगता है कुल मिलाकर एक घंटे में बूटिंग प्रोसीजर कंप्लीट हो जाता है
बूटिंग सीक्वेंस कैसे बदलें
आप कंप्यूटर या लैपटॉप की BIOS सिस्टम को खोलकर बूटिंग सीक्वेंस बदल भी सकते हैं जिसमें आपकी प्राथमिकता के आधार पर आप पहले नंबर पर हार्ड डिस्क रख सकते हैं उसके बाद पेनड्राइव और अंत में CD को भी रख सकते हैं
CONCLUSION –
बूटिंग COMPUTER में होने वाला बहुत आवश्यकता प्रोसेस है जिसको होना जरुरी है इसके पुरे होने पर ही कंप्यूटर स्टार्ट होता है
बूटिंग में POST – power on self test पहले किया जाता है इसके बाद बाद boot strap loder द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम को rom में lode किया जाता है इसके बाद ही कंप्यूटर उपयोग होने लगता है,
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