ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है|ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार | operating system in hindi

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ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है

ऑपरेटिंग सिस्टम को आप किसी मशीन की आत्मा कह सकते हैं जिस प्रकार आत्मा दिखाई नहीं देती लेकिन वह पूरे शरीर को नियंत्रित करती है वैसे ही ऑपरेटिंग सिस्टम भी है यह किसी मशीन के अंदर रहकर पूरी मशीन को नियंत्रित
ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य काम कंप्यूटर को ऑपरेट करना है और इनपुट आउटपुट को पूर्ण कर अपना काम करवाना है
ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर और कई सिस्टम सॉफ्टवेयर के बीच एक ब्रिज का काम करता है एकतरह से हम कह सकते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए से ही एक हार्डवेयर में नई हार्डवेयर जोड़ी आ सकती है और कई एप्लीकेशन और सिस्टम सॉफ्टवेयर भी नियंत्रित की जा सकती है

ऑपरेटिंग सिस्टम सिर्फ कंप्यूटर में नहीं नहीं पाया जाता ऑपरेटिंग सिस्टम के बहुत सारे प्रकार है और अलग-अलग मशीनों के लिए अलग-अलग प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम बनाए गए हैं

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य

जब कंप्यूटर को चालू किया जाता है तब वह पावर ऑन सेल्फ टेस्ट करता है जिसमें वह देखता है कि कंप्यूटर की सभी पार्ट्स अच्छे से काम कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं कि नहीं

पावर ऑन सेल्फ टेस्ट के बाद वह मेमोरी को सेकेंडरी मेमोरी से प्राथमिक में डालती है और कंप्यूटर को चालू कर ती है

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संबंधों को प्रबंध करती है और किसी भी प्रकार की समस्या को दिखाती है

कई प्रकार की एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर जैसे डेक्सटॉप पब्लिशिंग फोटोशॉप इत्यादि के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करवाती है

यह स्टोरेज माध्यम के बीच डाटा का प्रवाह बनाए रखती है

कंप्यूटर में आने वाले कई प्रकार के समस्या जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर आधारित होती है उनको दिखाती है और ट्रबलशूट के माध्यम से ठीक करने का भी कोशिश करती है

ऑपरेटिंग सिस्टम कहां-कहां यूज किए जाते हैं

जैसे कि हमने बताया की ऑपरेटिंग सिस्टम किसी मशीन को नियंत्रित करने का काम करती है चाहे वह कंप्यूटर हो लैपटॉप हो टेबलेट हो यह मोबाइल होगा इसके अलावा बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी उनका खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो उनकी कार्यपद्धती के अनुसार डिजाइन होते हैं और वही काम करते हैं

ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

आज दुनिया में ऑपरेटिंग सिस्टम की बहुत सारे प्रकार हैं लेकिन इसमें से मुख्यतः माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज और एप्पल का मैक ज्यादा फेमस है इसके अलावा
लाइनेक्स यूनिक्स गूगल क्रोम इत्यादि जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम है

Batch operating system

जैसे कि आपको नाम से ही पता चल रहा होगा कि यह किसी एक प्रकार के ही काम को करने के लिए प्रोग्राम और डिजाइन किए होते हैं और और यह एक साथ एक ही प्रकार के कई कामों को एक साथ करती है इसलिए इसे बैच ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है
इस ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य फायदा यह है कि इसमें एक ही प्रकार का काम किया जाता है इसलिए इसमें समय प्रबंधन करने की आवश्यकता नहीं होती
इस प्रकार की ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग- स्टैटिक एनालिसिस में बिल प्रिंट करने में और पैरोल बनाने में आदि कामों में किया जाता है

मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम

इस प्रकार की ऑपरेटिंग सिस्टम में कई प्रकार के कामों को एक साथ एक ही वक्त पर किया जा सकता है जैसे कि कोई इंसान यदि किसी डाक्यूमेंट्स का प्रिंटर ले रहा हो तब वही व्यक्ति साथ में फोटोशॉप का भी काम कर रहा होता है अर्थात इसमें प्रोसेसर खाली नहीं बैठता बल्कि एक साथ बेहतर तरीके से कई और कार्यों का क्रियान्वयन भी करता है
लेकिन जब इसमें प्रिंटिंग का काम किया जा रहा हो तब अगला काम तभी होगा जब प्रिंटिंग का काम खत्म किया जाए गया हो अर्थात यहां पर हम आउटपुट की बात कर रहे हैं जब एक आउटपुट होगा तभी दूसरा आउटपुट संभव है जैसे हमने कहा था कि डॉक्यूमेंट प्रिंटिंग जब हो रही हो तब फोटोशॉप से फाइल एडिट कर उसका प्रिंट तभी हो पाएगा जब डॉक्यूमेंट पूरी तरह से प्रिंट हो पाए
इस प्रकार के कार्यों के लिए विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है
आजकल इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत ज्यादा उपयोग में ले जा रहे हैं इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट विंडो और लिनक्स जैसी ऑपरेटिंग सिस्टम है

टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में कई यूजर एक टर्मिनल द्वारा कई कंप्यूटरों के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं और मिलकर डाटा का हस्तांतरण करते हैं और प्रत्येक उपयोगकर्ता कंप्यूटर के संसाधनों का साझा उपयोग करता है इस प्रकार देखा जाए तब सभी अपना वक्त दूसरे कंप्यूटर को भी दे पाता है इसलिए इन्हें टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम कहा गया है
इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में इनपुट और आउटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को टर्न अराउंड समय भी कहा जाता है
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में समय का सही प्रबंधन करना आवश्यक है क्योंकि कई प्रोग्राम एक साथ चलते रहते हैं जो अलग-अलग कंप्यूटरों में क्रियान्वित होकर एक साथ या अलग अलग अपना कार्य को पूर्ण करते हैं और इसमें सभी डाटा को मुख्य मेमोरी में लाया जाता है इस प्रकार यह प्रक्रिया स्वैपिंग कहलाती है

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम सभी प्रकार का कार्य का होना एक दूसरे पर निर्भर करता है अर्थात जब कोई पहला काम करेगा उससे जो रिजल्ट मिलेगा उस रिजल्ट का उपयोग कर दूसरा काम किया जा सकता है और यदि पहले काम में अगर वक्त लगा तब दूसरा काम भी देर हो सकता है इसलिए इसे रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम कहा गया है
इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम टाइम की बहुत ज्यादा बड़ी होती है और काम को बहुत फास्ट करना पड़ता है

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग उपग्रहों को संचालन में ,हवाई जहाज के नियंत्रण में ,वैज्ञानिक अनुसंधान में ,रेलवे आरक्षण में और संगठन आधारित कई प्रकार के कामों में किया जाता है

Single operating system

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास पर्सनल कंप्यूटर के साथ में क्या गया उस वक्त यह महसूस किया गया की किसी एक काम को एक ही वक्त में पूर्ण करने पर उस काम में बेहतर दिया जा सकता है जोकि बिना किसी मिस्टेक के संभव हो पाती है
एमएस डॉस इसी प्रकार का सिंगल ऑपरेटिंग सिस्टम है

मल्टिप्रोसेसिंग सिस्टम

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम मैं उपयोग में आने वाला मदर बोर्ड में दो या अधिक प्रोसेसर को आपस में जोड़ कर कार्य किया जाता है इससे कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है और एक ही समय में 2 प्रोग्राम में काम किया जा सकता है इस प्रकार के प्रोसेसिंग को पैरेलल प्रोसेसिंग भी कहा जाता है

Multi user operating system

इस ऑपरेटिंग सिस्टम में कई कंप्यूटर आपस में नेटवर्क द्वारा जोड़कर काम करते हैं इसमें एक ही डाटा कई कंप्यूटर से होकर गुजरता है और प्रोसेस होती है इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम यूनिक्स, लाइनेक्स आदि हैं

ईबेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम

किसी मशीन में स्थापित किया गया स्पेशल प्रकार के काम को करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम embedded operating system कहलाता है
इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम उसके मेन मेमोरी में ही डाल दिया जाता है इसका उदाहरण है वाशिंग मशीन, डीवीडी प्लेयर ,माइक्रोवेव ,इलेक्ट्रॉनिक घड़ी

ओपन और क्लोज्ड ऑपरेटिंग सिस्टम

जैसे कि इसके सबसे ज्यादा तो चल रहा होगा की जिस ऑपरेटिंग सिस्टम में उसका सोर्स कोड सबके लिए उपलब्ध होगा तब सोर्स कोड का उपयोग हर कोई अपने मन मुताबिक करेगा और नए प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम बनाएगा तब इसे ओपन ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है
इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का उदाहरण एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें मोबाइल निर्माता कंपनी अपने हिसाब से सोर्स कोड का इस्तेमाल करती है

क्लोज्ड ऑपरेटिंग सिस्टम

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में सोर्स कोड गुप्त होता है जिससे वह हर किसी को मिल नहीं पाती सोर्स कोड निर्माता कंपनी अपने लिए हमेशा इसे उपयोग करती है और कोई प्रोग्राम बना कर उस पूरे सॉफ्टवेयर की बिक्री करती है लेकिन सोर्स कोड और उसका लाइसेंस किसी दूसरे को कभी नहीं देती है बस सामने वाला व्यक्ति उस सॉफ्टवेयर का बस उपयोग कर पाता है ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम एप्पल के मैक और माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम है

आपने क्या सीखा

दोस्तों अपनी इस पोस्ट में हमने आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार और ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में पूरी जानकारी दें और आपको बताया कि ऑपरेटिंग सिस्टम क्या होता है उम्मीद है यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी इसी प्रकार के पोस्ट जानने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे हैं

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