रासायनिक अभिक्रिया की दर या वेग
जब कोई राशन की प्रक्रिया होती है तब उसमें भाग लेने वाली अभिकारक की सांद्रता घटती जाती है और रासायनिक अभिक्रिया की फलस्वरूप बनने वाली क्रिया फल की सांद्रता बढ़ती जाती है
किसी रासायनिक अभिक्रिया की इकाई समय अंतराल में अभिकारक और क्रिया फल के सांद्रनण में परिवर्तन के बराबर होता है
रासायनिक अभिक्रिया की दर वक्त के अनुसार बदलती रहती है जिसमें क्रियाकरक कारकों की सांद्रता कम होती है और क्रिया फल की सांद्रता बढ़ती जाती है जिसको निम्न सूत्र में लिखा जा सकता है
रासायनिक अभिक्रिया का वेग या दर = dx / dt
रासायनिक अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक
अभिकारक का संद्रनण
अभिक्रिया में भागने लेने वाले अभिकारक का संद्रनण बढ़ाने पर अभिक्रिया का दर बढ़ती है क्योंकि संद्रन बढ़ने से अणुओ में टक्कर की संभावना बढ़ जाती है और अभिकारक का संद्रन कम होने से रासायनिक अभिक्रिया का दर कम हो जाता है
अभिक्रिया का ताप
अभिक्रिया के दौरान यदि ताप में वृद्धि होती है तो रासायनिक अभिक्रिया कि दर बढ़ जाती है क्योंकि ताप बढ़ने से अक्रिय तत्व सक्रिय हो जाते हैं और प्रभावित टककरो की संख्या बढ़ जाती है, समान्यतह 10 सेंटीग्रेड ताप बढ़ने पर अभिक्रिया की दर सामान्यतः दुगनी हो जाती है
उत्प्रेरक की उपस्थिति
रासायनिक अभिक्रिया के दौरान उत्प्रेरक की उपस्थिति से अभिक्रिया का दर बढ़ जाता है किंतु अभिक्रिया के दौरान उत्प्रेरक की स्थिति अपरिवर्तित होती है
अभिक्रिया का दाब
जब कोई रासायनिक अभिक्रिया गैसों में की जाती है तब यदि गैस का दाब बढ़ाया जाता है तो उसमें उपस्थित गैसों की आयतन में कमी हो जाती है जिसकी वजह से अणुओ के बीच टक्कर बढ़ जाता है और अभिक्रिया का दर बढ़ जाता है
पृष्ठ का क्षेत्रफल
यदि किसी अभिकारक की अवस्था ठोस अवस्था में हो तब अभिकारक की पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ जाता है जिसकी वजह से अभिक्रिया का दर बढ़ जाता है
तीव्र और मंद राशयनिक अभिक्रिया
रासायनिक अभिक्रियाएं जब संपन्न की जाती है तब उनकी गति तीव्र या मंद होता है
इसके आधार पर
मंद अभिक्रिया वे रासायनिक अभिक्रियाएं जो बहुत धीरे-धीरे संपन्न होती है यह जिनके पूर्ण होने पर अधिक समय लगता है मंद अभिक्रिया कहलाती है
जैसे-
- दूध का दही में बदलना
- लोहे में जंग लगना
- हाइड्रोजन और आयोडीन की क्रिया द्वारा हाइड्रोजन आयोडाइड का बनना
- तीव्र अभिक्रिया – रासायनिक अभिक्रियाएं जो बहुत तीव्र गति से संपन्न होती है, तीव्र अभिक्रिया कहलाती है यह अभिक्रिया तत्वों की आयनो के मध्य होती है
- इसके उदाहरण निम्न है
- सोडियम को पानी में डालने पर आग लगना