जर्मनी की भौतिक विज्ञानी जॉर्ज साइमन ओम ने किसी चालक में बहने वाली विद्युत धारा और विभवांतर में संबंध बताने के लिए अपना एक नियम लाया जिसे ओम का नियम कहते हैं
ओम का नियम क्या है
इस नियम के अनुसार यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था में परिवर्तन ना हो तो उस चालक में बहने वाली विद्युत धारा, चालक के सिरों के बीच लगाए गए विभवांतर की अनुक्रमानुपाती होता है
यदि किसी चालक की सिरों के बीच लगाया गया विभांतर V तथा परिपथ में बहने वाली धारा I हो तो ओम के नियम के अनुसार
V=R I
इस फार्मूला मे R एक नियातांक है जिसे प्रतिरोध कहा जाता है इसका मान विभवांतर V और धारा I पर निर्भर नहीं करता
ओम के नियम की शर्तें
1 ताप नियत होना चाहिए
यदि किसी चालक तार का तापमान नियत होगा तब उसका प्रतिरोध एक समान होगा अन्यथा प्रतिरोध परिवर्तित हो जाएगा
2 चालक पदार्थ में विकृति नहीं होना चाहिए
यदि किसी चालक पदार्थ की लंबाई और अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन होता है तो उसका प्रतिरोध हमेशा एक समान नही होगा
3 विद्युत विभव (V) के बराबर विद्युत धारा (I) और विद्युतधारा (R) का गुणन अनिश्चितता रहित होता है। इस शर्त को V = I x R के रूप में लिखा जाता
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