mitochondria क्या है
माइटोकॉन्ड्रिया की खोज altman ने किया किन्तु benda द्वारा इसे माइटोकॉन्ड्रिया कहा गया यह सभी जीव औऱ पादप कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है, इन दोनों कोशिकाओं ( कोशिका की परिभाषा ) में ऊर्जा उत्पादन का कार्य इसके द्वारा ही किया जाता है इसलिए इसे कोशिका का ऊर्जा गृह कहा जाता है
माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसने की
- माइटोकॉन्ड्रिया की खोज सर्वप्रथम 1880 में कोलिकर नामक वैज्ञानिक ने खोज की लेकिन इसका वर्णन 1890 में ऑल्टमैन द्वारा किया गया है
- इसके बाद 1897 में बेंडा नामक वैज्ञानिक ने इसी माइटोकॉन्ड्रिया का नाम दिया
माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना कैसे होती है
माइटोकॉन्ड्रिया यूकैरियोटिक कोशिका में स्थित कोशिका द्रव ( कोशिका की खोज किसने की )में अनेक सूक्ष्म गोलाकार आकार युक्त कम से कण या छड़ी की आकार जैसा पाया जाता है
माइटोकॉन्ड्रिया सभी प्रकार की कोशिकाओं में पाया जाता है लेकिन यह सिर्फ नीले हरे शैवाल और बैक्टीरिया में नहीं पाया जाता है
मतलब हम कह सकते हैं कि सभी प्रकार के पेड़ पौधे तथा जीव जंतुओं में माइटोकॉन्ड्रिया पाया जाता है इसका आकार 5 मिली माइक्रोन होता है तथा इनका व्यास 5 मिली माइक्रोन तक होता है
माइटोकॉन्ड्रिया वसा और प्रोटीन निर्मित बाहरी और भीतरी झिल्ली द्वारा घिरा होता है इसका बाहरी आवरण सपाट होता है लेकिन आंतरिक आवरण हाथ की उंगली समान अनेक रचनाओं युक्त होती है ,
उंगली सामान रचनाओं को कृष्टि कहा जाता है
माइटोकॉन्ड्रिया में पाई जाने वाली अंतरिम lare माइटोकॉन्ड्रिया को दो भागों में बांटती है
आउटर चैंबर
यह बाहरी और भीतरी जिले के बीच पाया जाता है जो लगभग 60 से 80 A होता है
इनर चेंबर
यह भीतरी जिले द्वारा घिरा होता है और घिरा हुआ इनके बीच का स्थान बहुत बड़ा होता है इस खाली जगह पर जेली समान संरचना पाया जाता है जिसे मैट्रिक्स कहा जाता है
भीतरी झिल्ली और क्रिस्टी की सतह पर बहुत से छोटे कण पाए जाते हैं जिन्हें एक्सीसोम कहा जाता है
यह एक्सीसोम तीन भागों में बांटा गया है जिन्हें आधार वृत्त और सिर जैसे भाग इनमें पाए जाते हैं
एक्सीसोम कण में इलेक्ट्रॉन आगमन तंत्र और ऑक्सीडेटिव फास्फोर रिलेशन में काम आने वाली एंजाइम पाए जाते हैं इस कारण इन्हें इलेक्ट्रॉन अभिगमन कण कहा जाता है
माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस क्यों कहा जाता है
माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस का जाता है क्योंकि यहां पर सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट्स वसा और प्रोटीन का ऑक्सीकरण होता है
जिसके फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होता है इसी के कारण ही माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा घर कहा जाता है इसकी वजह से ही जंतु कोशिका में ऊर्जा का संचार होता है
माइटोकॉन्ड्रिया से उत्पन्न ऊर्जा एडिनोसिन ट्राईफास्फेट के रूप में पाया जाता है यह उत्पन्न ऊर्जा कोशिकाओं की विभिन्न प्रकार की कार्यों में उपयोग किया जाता है उपयोग कर जाने के बाद अंतिम में कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनता है
ऑक्सीकरण की क्रिया माइटोकॉन्ड्रिया में कई चरणों में होती है
क्रेब्स चक्र क्या है
यह माइटोकॉन्ड्रिया में मैट्रिक्स वाले भाग में है संपन्न होता है यहां पर सभी प्रकार के रॉ मैटेरियल घुलनशील अवस्था में पाए जाते हैं
जिसके कारण पाईरूमे अणुओं का ऑक्सीकरण होकर कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं और इसके साथ में उपापचाई पदार्थ से हाइड्रोजन का निर्माण होता है जो बाद में प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन के रूप में बदल जाता है
इलेक्ट्रॉन अभिगमन तंत्र
क्रेब्स चक्र के दौरान उत्पन्न इलेक्ट्रॉन दूसरे चरण में अभिगमन तंत्र पर प्रवेश करते हैं जहां पर वे विभिन्न प्रकार के अवयवों के साथ मिलकर ऑक्सीजन तथा प्रोटोन के बाद कोशिका द्रव में आ जाते हैं इसके बाद वे सभी आपस में संयोग कर जल बनाते हैं यह सभी प्रक्रिया माइटोकॉन्ड्रिया में क्रिस्टी मे संपन्न होते हैं
फासफो राइ लिटिंग तंत्र-यह तंत्र इलेक्ट्रॉन अभिगमन तंत्र से जुड़ जाता है और तीन स्थानों पर एटीपी का निर्माण करता है
“mitochondria ” के बारे आप कुछ पूछना चाहते हैं तो कृपया comment box में जरूर क्वेश्चन पूछे हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा, आप हमारे वेबसाइट peakstu.in पर यू ही आते रहे
और भी पढ़े >