ज्वार भाटा क्या है | ज्वार भाटा के प्रकार |Tides why comes

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ज्वार भाटा क्या है

जब ज्वार आता है तब पानी समुद्र से स्थल की ओर बढ़ने लगती है और यही चढ़ा हुआ पानी जब वापस समुद्र में चला जाता है तब भाटा कहलाता है, ज्वार और भाटा को मिलाकर संयुक्त रुप से ज्वार -भाटा कहा जाता है समुद्र मे आने वाली बड़ी बड़ी लहरों के पीछे का कारण ज्वार भाटा होता है

ज्वार भाटा के कारण समुद्री तटो पर कई प्रकार का प्रभाव पड़ता है इसके अतिरिक्त इसका उपयोग परिवहन सुविधाओं को आसान बनाने के लिए किया जाता है

ज्वार  क्या है

समुद्र के पानी का जलमंडल से स्थल मंडल की ओर आने की क्रिया ज्वार कहलाती है इस स्थिति में पानी की ऊंचाई स्थल मंडल की ओर बढ़ जाती है और तटवर्ती क्षेत्रों में पानी ऊपर चल जाता है

भाटा क्या है

ज्वार से स्थलमंडल में आया हुआ समुद्र का पानी जब वापस समुद्र में चला जाता है तब उसे भाटा कहा जाता है

ज्वार भाटा आने का कारण

जैसे कि प्रकृति मे सभी प्राकृतिक ग्रहों का अपना अपना गुरुत्वाकर्षण बल होता है इसके अलावा ग्रहों के उपग्रह का भी खुद का गुरुत्वाकर्षण बल होता है ,

हमारे पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है ,जब चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब होती है तब इसके गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी में उपस्थित कुछ पदार्थ जैसे पानी,मिट्टी को अपनी और आकर्षित करती है

 किंतु इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित समुद्र का पानी होता है समुद्र का पानी चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण स्थल की ओर बढ़ने लगती है और इसे हम ज्वार कहते हैं

ज्वार भाटा को उसकी आवृत्ति के आधार पर कई भागों में बांटा गया है

अर्द्ध- दैनिक ज्वार

यह सा सबसे सामान्य जुआरी प्रक्रिया है जिसमें दो उच्च और दो निम्न ज्वार  आते हैं

दैनिक ज्वार

इसमें केवल दो ज्वार आते हैं जिनकी ऊंचाई समान होती है

मिश्रित ज्वार

इस प्रकार की ज्वार भाटा में बहुत  विभिन्नता  होती है जिसकी वजह से इसे मिश्रित ज्वार भाटा कहा जाता है इस प्रकार के ज्वार भाटा उत्तरी अमेरिका और प्रशांत महासागर के तट में आता है

दीर्घ या बड़ा ज्वार 

महीने में हर 15 दिन बाद एक बड़ा उच्च ज्वार आता है और जब ज्वार आएगा तो स्वाभाविक सी बात है भाटा भी आएगा अर्थात हर 30 दिन में दो उच्च ज्वार और दो भाटा आएंगे

उच्च ज्वार भाटा 30 दिन में दो बार ही क्यों आते हैं

इसके पीछे का कारण भी रोचक है

आमतौर पर चंद्रमा तथा सूर्य का सम्मिलित गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से दो बड़े उच्च ज्वार की स्थिति निर्मित होती है जोकि पूर्णिमा और अमावस्या को होता है

अमावस्या और पूर्णिमा के दिन सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक सीध  पर होते हैं जिससे कि पृथ्वी के पानी पर इन दोनों के गुरुत्वाकर्षण बल का अधिक प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से 30 दिन में दो बार बड़े वाले ज्वार का निर्माण करता है

 इस प्रकार का बड़ा ज्वार सामान्य ज्वार से 20% अधिक बड़ा होता है और इस प्रकार आप समझ गए होंगे कि 30 दिन में दो बार ही ज्वार भाटा क्यों आता है

CONCLUSION – ज्वार भाटा क्या है

ज्वार भाटा के बारे में हमने इस पोस्ट में आपको बताने की कोसिस की है की -ज्वार भाटा क्या है जिसमे आपने जाना की चन्द्रमा और सूर्य की ग्रुत्वकर्षण बल का अहम रोल होता है ,ज्वार भाटा लाने में

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