मानव का पाचन तंत्र की परिभाषा
जटिल भोज्य पदार्थ का अवशोषण लायक सरल पदार्थ में टूटना ही पाचन है,,मानव में पाचन क्रिया जिसमें जटिल खाद्य पदार्थ का सरल का पदार्थ में परिवर्तन किया जाता है जिसके द्वारा ही पोषक तत्वों की प्राप्ति हो पाती है
मानव में पाचन कैसे होता है?
- मानव द्वारा जब भोजन को ग्रहण किया जाता है तब पाचन की क्रिया मुंह से स्टार्ट हो जाती है जिसमें भोजन को दांतो द्वारा चबाया जाता है
- इसके बाद इस भोजन में सलाइवा मिलता है सलाइवा में इलेक्ट्रोलाइट्स पदार्थ होते हैं और बैक्टीरिया को मारने वाले हैं एंजाइम भी होते हैं, मुँह मे मेडिसिन का अवशोषण होता है
- इसके बाद भोजन एक छोटी गेंद जैसे आकर में परिवर्तित हो जाता जाता है जिससे बोलस कहा जाता है यह बोलस मुख गुहा से से होते हुए ग्रसिका से होते ह अमाशय तक पहुंचती है
- अमाशय में अनेक प्रकार के रस मिलते हैं जिसमें जठर रस,hcl जैसे पदार्थ शामिल होते हैं जिससे भोजन छोटे सरल रूप मे टूट जाता है इसके बाद भोज्य पदार्थ अमाशय से निकलकर छोटी आंत में जाती है
- छोटी आंत में छोटी आंत पित्त रस और पैंक्रियास से पैंक्रियास जूस भोजन मे मिलता है,छोटी आंत में अनेक उंगली समान रचना पाई जाती है जिससे विलाई कहते हैं विलाई द्वारा ही भोजन के पोषक पदार्थ का सर्वाधिक अवशोषण होता है
- इसके बाद भोजन बड़ी आंत में जाती है बड़ी आंत में भोजन में उपस्थित पानी और कुछ मात्रा में दवाओं का शोषण होता है इसके बाद बचा फालतू पदार्थ मलद्वार द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है
आरम्भिक पाचन
मनुष्य का पाचन तंत्र अग्र भाग में मुँह से प्राम्भ होकर अन्तिम में गुदा द्वार तक होती हैं जिसमे भोज्य पदार्थ का विभिन्न चरणों में जटिल घटक से साधारण घटक में परिवर्तन होता है , मनुष्य में भोजन का पाचन कोशिका के बाहर होता है
मनुष्य का पाचन अंग मे मुँह, ग्रासनी, ग्राषिका, छोटी आंत, बड़ी आंत और अन्तिम मे गुदा द्वार शामिल है
तो चलिए सभी के बारे मे जानते हैं
मनुष्य मे पाचन अंग
मुँह ( MOUTH )
– मे दाँत पाये जाते हैं, व्यस्क मनुष्य मे 32 स्थाई दाँत होते है जो 16-16 के भाग मे ऊपर निचे दोनों जबडो मे स्थित होते हैं
मुँह मे 4 प्रकार के दाँत पाये जाते हैं
INCISOR – 4 दाँत, CANINE -2 दाँत, PRE MOLAR – 4 दाँत, MOLAR – 6 दाँत होते हैं
- मनुष्य का दाँत सूत्र ICPMM =2123 होता हैं
- मनुष्य के दाँत मे ऊपर स्थित इनेमल सर्वाधिक कठोर पाया जाना वाला शरीर का भाग है
मनुस्या के मुँहगुहा मे जीभ ग्रन्थी भी पायी जाती है जो मुख के फ्रेनलम पेसी से जुडी होती है जीभ के ऊपर मे छोटे छोटे उभार होते हैं जो स्वाद ग्रंथि होती हैं
लार ग्रन्थी मुँहगुहा मे 3 जोडिओ मे पाया जाता हैं
गाल मे दाये- बाये कुल 2 पायी जाती हैं, निचले जबड़े मे 2 और, जीभ के निचे दोनों ओर 2 लार ग्रन्थी पायी जाती है दोस्तों लार मे लाइसोज्यामे ENZYME और विद्युत अघट्या मौजूद होती हैं जो हानिकारक जीवाणु को मारती है
ग्रसिका
मुखगुहा के ग्रशनी से आगे का आहार नलिका ग्राषिका कहलाती है , यह रिंगयुक्त उपाशथिमय संरचना होती है जो अमाशय तक होती है
अमाशय
यह हमारे शरीर का भंडार गृह जैसे होता है खाना खाने के बाद भोजन सीधे अमाशय मे ही आती है ,अमाशय का आकार अंग्रेजी वर्णमाला के अक्चर J जैसा होता है
अमाशय को 3 भागो में बाटा गया है
1 CARDIAC STOMACH– जहाँ पर आकर ग्राषिका खुलती है
2 FUNDIC STOMACH
3 POLYORIC -यहाँ से ग्रहणी प्रारम्भ होती है
अमाशय के मयूकोषा मे जठर नामक ग्रंथि पायी जाती है इसमें 3 प्रकार की कोशिका पायी जाती है
1 सलेश्मा ग्रिवा कोशिका से म्यूकस का स्त्राव होता है
2 मुख्य कोशिका से प्रोएनज़ायम/ पेप्सीनोजेन का स्त्राव होता है
3 भित्तिय कोशिका से HCL और नैज कारक स्त्रावित होती है
नैज कारक के द्वारा भोजन से विटामिन B12 का अवशोषण होता है
LIVER –
मानव शरीर मे सबसे बड़ा ग्रंथि है यह उदर के पास दाये ओर इस्थित होता है इसका वजन 1.2-1.5 किलोग्राम तक होता हैLIVER दो पालियो मे विभाजित और सईयोजी उत्तक की पतली परत से पुरे LIVER को ढका जाता हैं,यह ढका हुआ LIVER ग्लिसस कैप्सूल कहलाता हैं ।LIVER से ही पित्त रस स्त्रावित होकर एक जगह इक्कठा हो जाता है जिसे पित्ताशय कहा जाता है
पित्ताशय और अग्नाशय दोनों ग्रहणी मे खुलते हैं, पित्ताशय भोजन का पायसीकरण करता है ,पित्ताशय में बिलुरुबीन और बिलबरडिन पाया जाता है, दोस्तों बिलुरुबीन की वजह से ही मल का रंग पीला होता है
PANCREAS ( अग्नाशय )
मनुष्य में एकमात्र ऐसा ग्रंथि है जो अन्तः स्त्रावी और बाह्य स्त्रावी दोनों प्रकार का काम करता है .PANCREAS में लैंगरहेन्स का द्वीप पाया जाता है,जिसमे अल्फा कोशिका से ग्लूकागोन और बिटा कोशिका से इन्सुलिन हार्मोन का स्त्रावण होता हैं इन्सुलिन की कम स्त्रावण से SUGAR और अधिकता से HYPOGLYCEMIA होता हैं, अग्नाशय से आगे का भाग छोटी आंत होता है
छोटी आंत
अमाशय से लगा हुआ अगला भाग होता हैं इसके 3 भाग है
ग्रहणी
– छोटी आंत का आरंभिक भाग होता है जो U आकार का होता हैं, पित्ताशय और अग्नाशय से निकला निकला पित्ताशय रस और अग्नाशय रस ग्रहणी में ही निकलती है इसकी कुल लम्बाई 25 CM होती है
जेजुनम
— इसको मध्यान्त्र भी कहा जाता है इसमें उंगली जैसी संरचना पायी जाती है जिसको विलाई कहा जाता है इनकी सर्वाधिक संख्या जेजुनम में ही पायी जाती है जिससे यह सर्वाधिक भोजन से विटामिन प्रोटीन का अवशोषण करती है इसकी कुल लम्बाई 2.4 मीटर होता है
इलियम
यह छोटी आंत का सर्वाधिक लम्बा भाग है इसके बाद बड़ी आंत आती है इसकी कुल लम्बाई 3.4 मीटर होती है. इलियम शाकाहारी में छोटा और माशाहारिओ में इसकी लम्बाई अधिक होती है
बड़ी आंत
छोटी आंत आकर सिकम में मिलता है , यह पाचन तंत्र में आहारनाल का अन्तिम भाग होता है जो 3 भागो से मिलकर बना होता है
1.सिकम – इलियम के पश्च भाग से जुडा होता है इसमें अवसेसि अंग वर्मीफार्म APPENDIX होता है, इसमें पाया जाने वाला सूछम जीव शाकाहारिओ में CELLULOSE का पाचन करता है
- कोलोन – बड़ी आंत का मध्य का भाग है जो पानी का अवशोषण करता है
- रेक्टम – बड़ी आंत का तीसरा और अन्तिम भाग है जिसमे अपचित भोज्य पदार्थ कुछ समय के लिए स्टोर होता है इसके बाद ANUS द्वारा बाहर हो जाता है
पाचन से संबंधित रोग
पीलिया
इस रोग में यकृत प्रभावित होता है जिससे शरीर का रंग पीला और आंखों का रंग भी पीला हो जाता है इसका कारण रक्त मे bilurubin वर्णक जमा हो जाना है
उल्टी
इसमें अमाशय से भोज्य पदार्थ बाहर निकल आता है मुंह के द्वार परावर्ती क्रिया द्वारा,दिमाग में medula amblgeta द्वारा नियंत्रित होता है
कब्ज की समस्या
इसमें फालतू पदार्थ बड़ी आंत में रुक जाता है जिससे कि पेट साफ नहीं हो पाता इससे कब्ज कहा जाता है
अपच की समस्या
इस स्थिति में भोजन का शरीर मे पूरा पाचन नहीं हो पाता जिसके कारण पेट भरा भरा महसूस होता है अपच की समस्या मुख्य रूप से मसालेदार और बहुत ज्यादा तैलीय पदार्थ खाने से होता है इसके अलावा कभी कभी गर्म मौसम के कारण भी पाचन नहीं हो पाता
दस्त की समस्या
शरीर में जब भोजन द्वारा हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस चला जाता है तब मल में जल की मात्रा से अधिक बढ़ जाती है,जिससे पोषक पदार्थों का absorption रुक जाता है इसके इसके कारण शरीर मल को शरीर से दस्त द्वारा बाहर निकाल देते हैं
बवासीर की समस्या
जब बहुत लंबे वक्त तक कब्ज की समस्या हो तब तब मलद्वार आसपास की शिराएं सूज जाती है और उसमें फोड़ा हो जाता है जो मलद्वार के अंदर ही होती है इससे मल त्यागने में समस्या होती है इसे बवासीर कहा जाता है
पाचन तंत्र का नामांकित चित्र
- मानव में दांत दो बार निकलते हैं जोकि पहले वाले अस्थाई होती है और दूसरी वाली स्थाई होती है
- अस्थाई दांत तीन प्रकार के होते हैं स्थाई दांत चार प्रकार के होते हैं
- मनुष्य में अस्थाई दांत 20 होते हैं
- स्थाई दांत चार प्रकार के होते हैं
- जिसमें इनसाईज़र केनाइन प्रीमोलर और मोलर और होता है
- ग्रास नली में पाचक ग्रंथि नहीं पाया जाता
- आमाशय में कार्बोहाइड्रेट का अपघटन नहीं होता बल्कि प्रोटीन का अपघटन होता है
- अमाशय और छोटी आंत के बीच पाईलोरिक कपाट पाया जाता है
- एक व्यस्क मनुष्य में बड़ी आंत 1.5 मीटर लंबा होता है
- यकृत द्वारा फाइब्रोनेजन और prothombin नामक प्रोटीन का संश्लेषण किया जाता है
- यकृत द्वारा bilurubin नामक वर्णक का का अवशोषण नहीं करने से रक्त में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया रोग हो जाता है
- पित्ताशय पक्षियों, चूहा,व्हेल मछली और हॉर्स में नहीं पाया जाता है
- शल्य चिकित्सा द्वारा पित्ताशय को हटा देने पर cholecystectomy कहलाता है
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दोस्तों मेने आपको पूरा मानव का पाचन तंत्र (HUMAN DIGESTIVE SYSTEM IN HINDI )बताया और ये भी बताया की DIGESTIVE ORGANS IN HUMAN कौन कौन से होते है उम्मीद है ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी
Qपाचन तंत्र क्या है
Qपाचन तंत्र के कितने अंग होते हैं?
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