कृषि में बीज प्रोद्योगिकी क्या है,Seed technology in hindi

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बीज प्रोद्योगिकी क्या है

कृषि विज्ञान के अंतर्गत बीज प्रोद्योगिकी (seed technology) में बीज (seed) को ऐसे वैज्ञानिक और आनुवंशिक तरीके से ऐसा इम्प्रूवमेंट किया जाता है जिसमें बीज का अधिक उत्पादन,भंडारण और प्रसंस्करण करना जैसे चीजे शामिल होती हैँ

इससे किसानो को अधिक उत्पादन, लाभ और अच्छी क्वालिटी और बीमारी रहित फसल प्राप्त प्राप्त होती है ,बीज प्रोद्योगिकी के अंतर्गत बीज उत्पादन, बीज प्रसंस्करण, बीज भंडारण , बीज परीछण और बीज वितरण जैसे कार्य संपन्न किये जाते हैं

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बीज क्या है (WHAT IS SEED)

विज्ञान की शाखा वनस्पति विज्ञान के आधार पर seed जिसको हम हिन्दी  में  बीज कहते हैँ, seed एक निसेचित अंडा ( fertilized ovule ) है जिसमे embryo, endosperm और  बीज का ऊपरी आवरण पाया जाता है ।बीज का मुख्य गुण अंकुरण करना होता है , SEED TECHNOLOGY  में SEED के STRUCTURE के बारे में जानना बहुत जरुरी है

बीज fertilized Ovule से बनते हैं। इसके अन्दर एक भ्रूण, बीज चोल तथा एक या दो बीज पत्र (Coty ledon) होते हैं। पौधों का वह भाग जो किसी भी फसली पौधों के गुणन (Multiplication) हेतु प्रयुक्त होता है, बीज कहलाता है।

बीज की परिभाषा

निषेचन से पूर्व अध्यावरण युक्त (Integumented) परिपक्व बीजाण्ड जिसके अंदर भ्रूण (Embryo) के रूप में भविष्य का शिशु पादप (baby plant) बीजपत्र तथा संगृहित खाद्य पदार्थ उपस्थित होते हैं, बीज (Seed) कहलाता है।

बीज पुष्पोदद्भिद पौधों की intermediale अवस्था होती है। प्रतिकूल जलवायु तथा पोषकीय पदार्थ की उपस्थिति मे आगामी पीढ़ी को प्रतिरक्षित करके रखती है तथा अनुकूल परिस्थिति के आगमन पर यह अंकुरित होकर नये plants में बदल जाती है।बीज की सामान्य संरचना (Generalised strucuture of a seed)एक परिपक्व seed के निम्नलिखित भाग होते है.

बीज की संरचना -strucuture of seed

(a) Seed coat इसे सामान्य रूप से टेस्टा (Testa) कहते है। यह अध्यावरण (intequment) से विकसित होता है। अगर बीजचोल द्विस्तरीय (double laveredy होता है तो बाहरी बीजबील को टेस्टा ( Testa) तथा आंतरिक बीज चोल को टेम्मेन (Tegmen) कहते हैं।

(b) हायलम (Hilum) बीज का वह भाग जहाँ से funcle जुड़ा रहता है,हायलम के नाम से जाना जाता है।

(c) Micropyle बीज के बीज चोल पर स्थित सूक्ष्म छिद्र जिसके जरिये अंकुरण के समय जल एवं आक्सीजन की आपूर्ति होता है, माइक्रोपाइल के नाम से जाना जाता है।

(d) Endosperm यह बहुगुणित polyploid पोषक ऊत्तक होता है। यह बीज में उपस्थित हो सकता है। भ्रूणपोष युक्त बीज को भ्रूणपोषी तथा भ्रूणपोष की अनुपस्थिति वाले बीज को अमृणपोषी कहते हैं।

(e) भ्रूण (Embryo) यह बीजाणुभिकीय (sporophytic) सरचना होती है। जो कि जायगोट से बहुविभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।

यह cotyledon तथा भ्रूणीय अक्ष (embryonal axis) का बना होता है।

भूणीय अक्ष (embryonal axis) पतला, कोमल भाग होता है इसमें एक या दो चपटी परन्तु पतली या मोटी संरचना पाश्र्व में जुड़ी रहती है, यही रचना Cotyledon कहलाती है।

बीजपत्र के तल (level) से ऊपर स्थित भ्रूणीय अक्ष (embryonal axis) के भाग को एपिकोटाइल (Epicotyl) कहते हैं। एपिकोटाइल का शोषभाग प्राकुर (Plumule) कहलाता है। प्रशंकुर प्ररोह तंत्र (shootsystem) के परिवर्द्धन का कार्य करता है भ्रूणीय अक्ष (embryonal axis) का वह भाग जो कि बीजपत्र के तल (level) से नीचे स्थित रहता है, बीजाधार (hypocotyl) कहलाता है।

बीजाधार (hypocoryl) का शीर्ष भाग मूलाकुर (radicle) कहलाता है, यह जड़ एवं जड़ प्रणाली (root system) का निर्माण करता है।

बीज प्रद्योगिकी मेबीज अंकुरण के लिए आवश्यक कारक

  1.    Seed मे खुद की अंकुरण छमता होनी चाहिए
  2. अंकुरण करने के लिए बीज मे नमी 40-60% होना आवश्यक है
  3. बीज मे उचित तापमान जरुरी है
  4. और सबसे जरुरी बीज अपने अंदर से ऑक्सीजन का प्रवाह होना जरुरी है 

पादप वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक

प्लांट्स की वृद्धि को अनेक प्रकार के प्राकृतिक और कृत्रिम  कारक प्रभावित करते है , इनमे  से कुछ कारक है

ताप,वायु, आद्रता – moisture, प्रकाश, अनुवानशिक गुण, minerals

फसल किस प्रकार की मिट्टी मे लगाया जाना चाहिए 

फसल को लगाने से पहले कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है जो SEED TECHNOLOGY में बीज बोन के लिए बहुत जरुरी होता है  

salty soil  नहीं होना चाहिए  – का होना जिस जगह पर फसल बोया जाना है वहां की SOIL में पहले ये देखा जाना चाहिए की  मिटटी ज्यादा नमक युक्त तो नहीं है क्योकि मिटटी में नमक की अधिकता  से फसल उत्पादन प्रभावित करती है 

मिट्टी मे पोषक तत्वों का  होना-   फसलों  को लगाने से पहले हमेसा  यह देखना होता है की लगायी जाने वाली फसल के लिए  कितनी मात्रा में पोषक तत्व जरुरी है और भूमि की उर्वरा छमता कितनी है NPK की मान  देखना जरुरी होता है जिससे की भविष्य में फसल यत्पादन अछि तरह हो सके

मिट्टी की जलधारण छमता- मिटटी में जल कितनी देर तक रुका रहता है वह उसका जल धारण छमता कहलाती ही , फसलों के आधार पर जल धारण छमता देखि जाती है

STEPS OF SEED TECHNOLOGY

अनुवानशिक सुद्धता (GENETIC PURITY) -बीज प्रोद्योगिकी में

  • जब कोई फसल के लिए SEED चुना जाता है तो हमेशा वहाँ ये देखा जाता है कि SEED कितने % शुद्ध है, GENETIC PURITY को 100% लिया जाता है जो 99.99% तक भी अपनाया जाता है
  • GENETIC PURITY का अर्थ होता है कि उसमे अपने parent seeds के  अनुवानशिक गुणों से कितनी जादा समानताये हैं इसी लिए इसको 100% लिया जाता हैं क्योंकि seed जितना शुद्ध होगा उसकी उत्पादन और रोग प्रतिरोधन छमता उच्च होगी

ISOLATION DISTANCE-अलगाव दूरी

जब किसी जगह बीमारी लगी हो तो वहां जो स्वस्थ होंगे उन फसलों या बीजो को बीमार ग्रस्त बीज या पौधों से दूर रखा जाता हैं जिससे कि उनमे  बीमारी ना आ पाये और जब स्वस्थ बीज से फसल लिया जायेगा तो वह भी शुद्ध नस्ल का होगा और  अनुवानशिक शुद्धता बरकरार रहेगी

TYPES OF PURE  SEEDS-शुद्ध बीजों के प्रकार

NUCLEUS / BREEDER SEED –

  1. ऐसे SEED को PLANT BREEDER द्वारा  उत्पन्न किया जाता है
  2. ये सीधे अपने PARENT से पैदा किये जाते हैँ इसलिये इन्हे  NUCLEUS बीज कहा जाता है.
  3. NUCLEUS बीज मे शुद्धता 100% रहती है और 100% शुद्ध होने कि वजह से बहुत ही महगी बिकती है आधार बीज BREEDER SEED द्वारा ही बनाये जाते हैँ

FOUNDATION SEED – आधार बीज 

  1. इन बीजो को BREEDER SEED द्वारा ही बनाया जाता है जिससे इनमे अनुवानशिक शुद्धता बरकरार रहती है
  2. FOUNDATION SEED से ही अन्य REGISTER SEEED बनाया जाता है इस कारण FOUNDATION SEED को MOTHER SEEDS कहा जाता है, आधार बीज को पहचानने के लिए WHITE TAG लगाया जाता है

REGISTERED SEED -पंजीकृत बीज

इन बीजो का  निर्माण FOUNDATION SEED से किया जाता है इस कारण अनुवानशिक शुद्धता और गुण   थोड़ी कम होती है जो संतोषप्रद होती है . इसका निर्माण किसानो द्वारा state seed  council के देखरेख मे किया जाता है ,इसमें purple tag लगाया जाता है

CERTIFIED SEED – प्रमाणित बीज 

  1.  इन बीजो को तैयार करने के लिए  FOUNDATION  और REGISTERED   SEED का उपयोग किया जाता है, CERTIFIED SEED मे अनुवानशिक शुद्धता और गुण  संतोषजनक होता है और इसे भी किसानो द्वारा SSC की देखरेख मे बनाया जाता है.
  2. प्रमाणित बीज से उत्पन्न  पहला generation के बीज और पहले generation से उत्पन्न दूसरे generation के बीज को ही प्रमाणित बीज घोषित किया जाता है  इसके बाद के बीज को प्रमाणित नही किया जाता

VIABILITY TEST – जीवन छमता परीछण

बीज को FARM मे लगाने से पहले यह देखा जाता है की वे बोने लायक है या नही या कोई बीमारी तो नही है इसके लिए बहुत सारे परीछण किये जाते हैं जो इस प्रकार है 

RESPIRATION TEST –

यह देखा जाता हैं की वह वायु ले सकता हैं या नही

ELECTRICAL  CONDUCTANCE TEST

बीजो को आसवित पानी से भीगाने के बाद उन्हें सीधे ELECTRICAL  CONDUCTANCE किया जाता हैं जिससे यह पता चलता है की SEED के कोशिका कितने % जिन्दा और मरे हुए हैं, मरे बीज से पानी मे METABOLITES जादा घुल जाता है जिससे ये पता चलता हैं यह बीज काम का नही है

POTASSIUM PERMANGANATE TEST –

इसे पता चलता है की कोई बीज मे LEACHING कितनी हो रही है, LEACHING अधिक हुई तो बीजो का उपयोग नही किया जाता

EMBRYO CULTURE –

कुछ बीजो को उगाया जाता और उगने और ना उगने वाले बीजो का प्रतिशत निकाल कर बीज की क्वालिटी देखि जाती है 

TERAZOLIUM  TEST 

इसे जैव राशयनिक टेस्ट कहा जाता है इसमें TERAZOLIUM को पानीे मे घोला जाता है जिससे उसका पानी का  रंग पीला हो जाता है, इसके बाद इस पिले घोल मे बीजो को डाला जाता है यदि पीला घोल लाला रंग का हो जाता है तो यह माना जाता है की SEED अच्छी  क्वालिटी का है और यदि रंग नही बदलता या लाला रंग के अलावा दूसरा रंग आ जाता है तो seed को खराब माना जाता है

SEED DORMANCY – बीज प्रसूप्ता

  • जब बीज active नही होता तब उसको सोया हुआ कहा जाता है इंग्लिश मे इसके लिए शब्द Seed dormancy   का प्रयोग किया जाता है  इस अवस्था मे बीज का स्वसन और metabolism भी बंद रहता है
  • जब बीजो को बोना होता है तब इनका SEED DORMANCY तोड़ा जाता है
  • SEED DORMANCY का मुख्य कारण  hydrolytic enzymes क्रियाशीलता मे कमी होना होता है, इसमे gibberellins  सुसुप्ता तोड़ने मे मुख्य भूमिका निभाता है
  • इसके अलावा लाला प्रकाश अंकुरण की दर को बढ़ाता है 

SEED DORMANCY तोड़ने के लिए कई विधियां है आइये जानते हैं

 A-  Physical treatment –

  1. Seed को विभिन्न समय के लिए 40-50 डिग्री तापमान दिया जाता है
  2. निम्न ताप – 12 से 14 घंटे के लिए  2-8 डिग्री c  ताप पर 36 घंटे के लिए  रखा जाता हैं
  3. बारी बारी से बीज को ठंडा गर्म कर बीज सुसप्ता अवस्था तोड़ा जाता हैं  किया जाता हैं
  4. बीज की आवरण को रगड़कर  जल परगम्य बनाया जाता है

B -chemical treatment –

  1. अम्लीय उपचार -hcl, hno3, h2so4 से बीजो को उपचारित करने से SEED DORMANCY भंग होता है
  2. Potesium nitret का उपयोग फसल कटाई के बाद बीजो मे  DORMANCY भंग करने के लिए उपयोग मे लाया जाता है
  3. ऑक्सीजन की अधिक सांन्द्राता बढ़ाने से SEED DORMANCY भंग होती है
  4. प्लांट हार्मोन GA 3 का उपयोग भी SEED DORMANCY भंग करने मे उपयोग किया जाता है

Seed treatment- बीज उपचार 

SEED DORMANCY भंग करने के बाद बीजो को स्वस्थ रखना भी जरुरी होता है Seed treatment करना बहुत जरुरी होता है  ,बीज उपचार कर फसल से अधिक मात्रा मे उत्पादन लिया जाता है  इसमें कई प्रकार की विधियां हैं चलिए जानते हैं

Hot water treatment – गर्म जल से उपचार

  1. बीज को निश्चित समय के लिए गर्म पानी मे डुबाकर और सुखाकर बीज रोग –  loose smut और alternariya blight से छुटकारा पाया जाता है
  2. बीजो को पानी से धोकर तेज धुप मे सुखाया जाता है
  3. विभिनम प्रकार की fungicides से बीजो का उपचार किया जाता है 

 NATIONAL SEED CARPORATION ( NSC) – राष्ट्रीय बीज निगम

NSC को 1963 मे को REGISTERED किया गया इसका मुख्य काम बीज उद्योग को विकसित कर फसलो और उनके उत्पादों को नियंत्रित करना है

 STATE SEED CERTIFICATE AGENCY -राज्य बीज प्रमाणीकरण  एजेंसी

इसका मुख्य काम बीजो को प्रमाणीकरण करना जिससे की बीज की क़्वालिटी पता चल सके

INDIAN SEED ACT – भारतीय बीज अधिनियम

शुद्ध और अच्छी बीज को बनाये रखने और उसको बाजार मे बेचे जाने तक  नियमो का पालन INDIAN SEED ACT 1966 के तहत किया जाता है 

TERMINATOR और TRAITOR  TECHNOLOGY

बीजो में  पाए जाने वाले गुणों के आधार पर इनका वर्गीकरण किया गया है

TERMINATOR TECHNOLOGY-

वे अनुवंशिकी MODIFY SEED होते है जिनका फसल मे एक बार  उपयोग करने के बाद प्राप्त फसल से प्राप्त बीज को दोबारा बोया नही जा सकता, इसका कारण यह है की SECOND-GENERATION बीज प्राप्त करने के बाद बीज का उगना भी जरुरी होता है जो अनुवानशिक संरचना मे परिवर्तन के कारण यह संभव नही है,

इस कारण TERMINATOR SEED को INDIA मे BAN किया गया है क्योंकि यह विवादित  है 

TRAITOR  TECHNOLOGY-

यह टर्मिनेटर सीड  टेक्नोलॉजी जैसी ही है  बस इसमें जो गुण इस बीज मे पाना चाहते है वह अनुवानशिक परिवर्तन कर वह अनुवानशिक गुण डाल दिया जाता है

और इस प्रकार अनुवानशिक जीन युक्त बीज को active करने के लिए इसमें chemical डाला जाता है जो पर्यावरण और इंसानों के लिए घातक होगी

पर्यावरण प्रेमी इस प्रौद्योगिकी को India मे लाना नही चाहते क्योंकि यह पर्यावरण को छती पंहुचाता है

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CONCLUSION – SEED TECHNOLOGY क्या है

कृषि करने के लिए SEED TECHNOLOGY के बारे में जानना बहुत जरुरी है इसके आधार पर ही अधिक लाभ और उत्पादन मिल सकता है एक SEED का SEED REPLACEMENT RATE और  STRUCTURE OF SEED के  बारे  में  जानना  बहुत  ज्यादा  जरुरी  है  मुझे   विस्वास  है  इस  लेख  को  पढ़ने  के  बाद   SEED  TECHNOLOGY समझने  में  आपको  कोई  समस्य  नहीं  होगी

” SEED TECHNOLOGY ” के बारे आप कुछ पूछना चाहते हैं तो कृपया comment box में जरूर क्वेश्चन पूछे हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा, आप हमारे वेबसाइट peakstu.in पर यू ही आते रहे

FAQ -बीज प्रोद्योगिकी क्या है

Q-सीड टेक्नोलॉजी क्या है

A- विज्ञान का उपयोग कर ऐसे बीज का चयन करना और उसका ऐसे सुधार करना की उस बीज से अच्छी और बिना रोग के फसल उत्पादन हो और साथ ही उत्पादन भी अच्छा हो

Q-सीड के कितने प्रकार होते हैं

A- seed को बनाने के आधर पर 4 प्रकार हैँ Foundation seed, breeder seed, certified seed, registired seed

Q-सीड tag क्या है

A- बीज को पहचानने के लिए विभिन्न रंग के tag लगाया जाता है जे सफेद, नीला और पर्पल रंग का होता है

Q- foundation seed का tag क्या होता है

A-फाउंडेशन बीज में एक सफेद रंग का टैग होता

Q- certified seed का tag क्या होता है

A-प्रमाणित बीजों में एक नीले रंग का टैग होता

Q- registered seed का tag क्या होता है

A-पंजीकृत बीजों में बैंगनी रंग का टैग होता है।

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