मनुष्य के हृदय रोग -लक्षण, कारण
मनुष्य के हृदय में होने वाले प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं
(1) निलयी तन्तुकता (Ventricular fibrillation)
(2) कपाटीय रोग (Valvular disease)
(3) एन्जाइना (Angina)
(4) मायोकार्डियल इनफ्रैक्शन (Myocardial infarction)
(5) रिह्यमैटिक हृदय रोग (Rheumatic heart disease )
(6) पेरिकार्डियोटिस (Pericarditis)
(1) निलयी तन्तुकता (Ventricular fibrillation)
इस रोग मे ह्रदय के सभी फंक्शन मे आपसी सामंजस्य नहीं हो पाता जिससे सभी अंग अपने अपने तरीके से काम करने लगते है, जिसके कारण आलिंद और निलय सही time पे नहीं काम करते
जिससे ह्रदय मे बहुत critical problem आ जाती है
(2) कपाटीय रोग (Valvular disease)-
इस रोग मे ह्रदय मे पाए जाने वाले त्रिवालनी कपाट और द्विवलनी कपाट मे डिफेक्ट आ जाता है जिससे blood का फ्लो उल्टा होने लगता है और blood circulation system प्रभावित होने लगती है, इस रोग को ऑपरेशन के द्वारा ही ठीक किया जाता है
(3) एन्जाइना (Angina) –
जब blood clot हो जाता है या कभी कोरोनरी धमनी के जाम हो जाने से blood circulation बंद हो जाता है जिससे chest pain होता है इसके अलावा इंसान की मृत्यु भी हो सकती है
(4) मायोकार्डियल इनफ्रैक्शन (Myocardial infarction) –
कोरोनरी धमनी के जाम हो जाने से रक्त प्रवाह system अवरुद्ध हो जाती है इसके अलावा blood के cells मे नहीं पहुंच पाने के कारण कोशिका क्षतिग्रस्त (dammage ) होने लगती है जिसके कारण मायोकार्डियल इनफ्रैक्शन या हृदय आघात उत्पन्न हो जाता है
(5) रिह्यमैटिक हृदय रोग (Rheumatic heart disease ) –
इस रोग मे भी heart के valve में इन्फेक्शन के कारण काम नहीं कर पाते हैं इस condition मे drugs द्वारा इलाज किया जाता हैं
(6) पेरिकार्डियोटिस (Pericarditis) –
इसमें बैक्टीरियल संक्रमण के कारण ह्रदय के आवरण में सूजन आ जाती हैं जिसके कारण ह्रदय को अपने फंक्शन को continue रखने में प्रॉब्लम आती है \
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