जीवद्रव्य कुंचन क्या है ( plasmolysis kya hai )
जब किसी पादप कोशिका को किसी अति पराशरी विलियन या अधिक सांद्रता वाले विलियन में रखा जाता है तब पादप कोशिका के अंदर उपस्थित जल जोकि निम्न सांद्रता वाला होता है इस स्थिति में जल निम्न सांद्रता से अधिक सांद्रता वाले जल की ओर प्रवाहित होती है
जिसकी वजह से पादप कोशिका की कोशिका द्रव्य से जल बाहर की ओर परासरण कर जाएगा जिसकी वजह से जीवद्रव्यकुंचन होगा जीवद्रव्यकुंचन की स्थिति में पादप कोशिका सिकुड़ जाती है इस प्रकार की घटना जीव द्रव्य कुंजन है आगे हम आपको इसे परिभाषा के रूप में बताएंगे कि जीवद्रव्य कुंचन क्या है और जीवद्रव्य कुंचन कैसे होता है
जीवद्रव्य कुंचन की परिभाषा
जब विलियन में कोई कोशिका रखा जाता है तब यदि बाहर का विलियन का सांद्रता कोशिका के अंदर उपस्थित विलियन से अधिक होगा तब परासरण की क्रिया के कारण कोशिका के अंदर उपस्थित विलियन बाहर की ओर चली जाएगी और कोशिका में संकुचन होगा इस क्रिया को ही जीवद्रव्यकुंचन कहा जाता है
और यदि कोशिका को सादे पानी में रखा जाए तब कोशिका के अंदर उपस्थित विलियन की सांद्रता पाने की सांद्रता से अधिक होगी इस स्थिति में पानी कोशिका के अंदर प्रवेश करेगा जिसके कारण कोशिका फूल जाएगी
जीवद्रव्यकुंचन के बारे में हम आपको उदाहरण से बताते हैं
- यदि आप किसी किसमिस को सामान्य पानी पर रखते हैं तब अंतः परासरण की क्रिया के कारण पानी किसमिस के अंदर प्रवेश करेगी जिसकी वजह से किसमिस फूल जाएगा इस क्रिया को जीवद्रव्य विकुचन (deplasmolysis) कहा जाएगा
- और यदि आप किसी अंगूर को शक्कर खुले हुए विलियन में रखते हैं तब कुछ वक्त बाद अब देखते हैं कि अंगूर सिकुड़ गया है इसका कारण होता है कि अंगूर के अंदर का जल बाहर की ओर जाने लगती है जिसे बाह्य परासरण कहते हैं, तब इस क्रिया को जीवद्रव्य संकुंचन कहा जायेगा
जीव द्रव्य कुंचन क्रिया का महत्व
- इसमें प्लाज्मा कला अर्धपारगम्य स्वभाव दिखाता है
- इस विधि का उपयोग कर कई प्रकार की आचार को कई वर्षों तक संरक्षित किया जा सकता है, इसके लिए आचार में नमक मिलाया जाता है
- इस क्रिया के द्वारा यह ज्ञात होता है कि उर्वरक का अधिक उपयोग करने से जल की सांन्द्राता बढ़ जाती है जिसकी वजह से पौधों में उपस्थित पानी बाहर जाता है और फसलें खराब हो जाती हैं
- इस क्रिया के द्वारा पौधों में उपस्थित कोशिका राशि का परासरण दाब ज्ञात किया जा सकता है